बदमाश तो हम उसी दिन बन गये थे,
जिस दिन पापा जी ने कहा था
बेटा पिट के मत आइयो बाकी सब कुछ हम देख लेगे.

नदी जब किनारा छोड़ देती हैं; राह की चट्टान तक तोड़ देती हैं; बात छोटी सी अगर चुभ जाती है दिल में; ज़िंदगी के रास्तों को मोड़ देती हैं!

सोच को बदलो सितारे बदल जायेंगे; नज़र को बदलो नज़ारे बदल जायेंगे; कश्तियाँ बदलने की जरुरत नहीं; दिशाओं को बदलो किनारे बदल जायेंगे।

परिंदों को नहीं दी जाती तालीम उड़ानों की; वो खुद ही तय करते हैं मंजिल आसमानों की; रखते हैं जो हौसला आसमानों को छूने का; उनको नहीं होती परवाह गिर जाने की।

अभी ना पूछो हमसे मंज़िल कहाँ है; अभी तो हमने चलने का इरादा किया है; ना हारे हैं ना हारेंगे कभी; यह किसी और से नहीं बल्कि खुद से वादा किया है।

जीत की खातिर बस जूनून चाहिए; जिसमे उबाल हो ऐसा खून चाहिए; ये आसमां भी आयेगा ज़मीं पर; बस इरादों में जीत की गूंज चाहिए।

न संघर्ष न तकलीफ तो क्या मज़ा है जीने में; बड़े-बड़े तूफ़ान थम जाते हैं जब आग लगी हो सीने में।

आज बादलों ने फिर साज़िश की; जहाँ मेरा था घर वहीँ बारिश की; अगर फलक को ज़िद्द है बिजलियाँ गिराने की; तो हमें भी ज़िद्द है वहीं आशियाना बनाने की।

उगता हुआ सूरज दुआ दे आपको खिलता हुआ फूल खुशबू दे आपको
हम तो कुछ भी देने के काबिल नहीं देनेवाला हज़ार खुशिया दे आपको

उठा कर तलवार जब घोड़े पे सवार होते बाँध के साफ़ा जब तैयार होते
देखती है दुनिया छत पे चढ़के कहते है की काश हम भी ऐसे होशियार होते

पहाड़ चढ़ने का एक असूल है झुक कर चढ़ो ज़िंदगी भी बस इतना ही मांगती है अगर झुक कर चलोगे तो ऊंचाई तक पहुँच जाओगे।

कभी उसको नज़र अंदाज़ ना करो जो तुम्हारी बहुत परवाह करता हो; वरना किसी दिन तुम्हें एहसास होगा कि पत्थर जमा करते-करते तुम ने हीरा गवा दिया।

मुश्किलें दिल के इरादे आजमाती हैं; ख्वाबों के परदे निगाहों से हटाती हैं; हौंसला मत हार गिर कर ओ मुसाफिर; ठोकरें ही तो इंसान को चलना सिखाती हैं।

हालात के कदमों पर सिकंदर नहीं झुकता; टूटे भी तर तो ज़मीन पर नहीं गिरता; गिरती है बड़े शौंक से समंदर में नदियां; कभी किसी नदी में समंदर नहीं गिरता।

गुलाम बनकर जिओगे तो कुत्ता समजकर लात मारेगी तुम्हे ये दुनिया
नवाब बनकर जिओगे तो सलाम ठोकेगी ये दुनिया
दम कपड़ो में नहीं जिगर में रखो
बात अगर कपड़ो में होती तो, सफ़ेद कफ़न में लिपटा हुआ मुर्दा भी सुल्तान मिर्ज़ा होता