ज़ख्म देने की आदत नहीं हमको; हम तो आज भी वो एह्साह रखते हैं; बदले-बदले तो आप हैं जनाब; हमारे आलावा सबको याद रखते हैं।
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ज़ख्म देने की आदत नहीं हमको; हम तो आज भी वो एह्साह रखते हैं; बदले-बदले तो आप हैं जनाब; हमारे आलावा सबको याद रखते हैं।
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