आज खुदा ने फिर पूछा; तेरा हँसता चेहरा उदास क्यों है; तेरी आँखों में प्यास क्यों है; जिसके पास तेरे लिए वक़्त नहीं है; वही तेरे लिए खास क्यों है!

बहुत दूर मगर बहुत पास रहते हो; आँखों से दूर मगर दिल के पास रहते हो; मुझे बस इतना बता दो क्या तुम भी मेरे बिना उदास रहते हो!

दूरियां बहुत हैं मगर इतना समझ लो; पास रह कर ही कोई ख़ास नहीं होता; तुम इस कदर पास हो मेरे दिल के; मुझे दूरियों का एहसास नहीं होता।

दोस्ती में दूरियां तो आती रहती हैं; फिर भी दोस्ती दिलों को मिला देती है; वो दोस्ती ही क्या जो नाराज़ न हो; पर सच्ची दोस्ती दोस्तों को मना लेती है।

हो सकता है कि हम साथ रह न पायें; एक दूसरे से कभी कुछ कह न पायें; मत बढ़ाओ इतनी नज़दीकियां तुम; कि हम दूरियां फिर सह न पायें।

मोहब्बत हर इंसान को आज़माती है; किसी से रूठ जाती है पर किसी पर मुस्कुराती है; मोहब्बत खेल ही ऐसा है; किसी का कुछ नही जाता किसी का सब कुछ चला जाता है।

लोग कहते हैं जब कोई अपना दूर चला जाता है तो बड़ी तकलीफ होती है
पर ज्यादा तकलीफ तो तब होती है जब कोई अपना पास होकर भी दूरियाँ बना ले

जब मैं मर गया तब दूर जाना दोस्त
अभी तो मिल के पिया कर

खुदा की बनाई कुदरत नहीं देखी; दिलों में छुपी दौलत नहीं देखी; जो कहता है दूरी से मिट जाती है दोस्ती; उसने शायद हमारी दोस्ती नहीं देखी।

कोई दूर है तो कोई पास है; यह वक़्त-वक़्त की बात है; हम तुम दूर हैं तो क्या हुआ; आपकी चाहत की यादें तो हमेशा अपने साथ हैँ।

आप पास रहो या दूर; हम दिल से दिल की आवाज़ मिला सकते हैं; ना ख़त के और ना फ़ोन के मोहताज़ हैं हम; पर आपके दिल को एक हिचकी से हिला सकते हैं हम।

बताओ कैसा लगता है किसी को पा के खो देना.
किसी के साथ तो चलना मगर उस का न हो पाना..

दूरियां ही नज़दीक लाती हैं; दूरियां ही एक-दूजे की याद दिलाती हैं; दूर होकर भी कोई करीब है कितना; दूरियां ही इस बात का एहसास दिलाती हैं।

ढलती शाम का खुला एहसास है; मेरे दिल में तेरी जगह कुछ ख़ास है; तुम दूर हो ये मालूम है मुझे; पर दिल कहता है तू यहीं मेरे आस-पास है।

तकदीर के काजी से मैं क्या पूछता किस्मत अपनी
वो शख्स खुद ही कह गया तेरा नहीं हूँ मैं