खुदा का शुक्र है रमजान आया; मसीहा बनके है मेहमान आया; मेरी आँखें बिछी हैं उसकी राह मे; बड़े रुतबे का है सुल्तान आया। रमजान मुबारक!
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खुदा का शुक्र है रमजान आया; मसीहा बनके है मेहमान आया; मेरी आँखें बिछी हैं उसकी राह मे; बड़े रुतबे का है सुल्तान आया। रमजान मुबारक!
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