सिर्फ एक बार आओ हमारे दिल की सल्तनत में
अपना मुकाम देखने..
फिर लौटने का ईरादा हम तुम पर छोड़ देँगे.!!
सिर्फ एक बार आओ हमारे दिल की सल्तनत में
अपना मुकाम देखने..
फिर लौटने का ईरादा हम तुम पर छोड़ देँगे.!!
इश्क इश्क का जमाने में फर्क क्या होता है
कही इश्क की जरूरत होती है
और कही जरूरत का इश्क होता है
er kasz
क्या मंदिर क्या मस्जिद क्या गंगा की धार करे..
वो घर ही मंदिर जैसा है जिसमे औलाद माँ बाप का सत्कार करे
इतना ही ग़ुरुर था तो मुकाबला इश्क का करती
ऐ बेवफा
हुस्न पर क्या इतराना जिसकी औकात ही बिस्तर तक हो
वो बेगानो में अपने हम अपनों में अंजान लगते हैं; हमारे खून की कीमत नहीं उनके अश्कों के भी दाम लगते हैं।
सुनो तुम लाख जतन कर लो मुझे भूलने की पर मैं
तुम्हारी हृदय के एक कोने में बैठा मुस्कुराता ही मिलूंगा
मैने उसके नरम होठो को चुमने की इजाज़त माँगी
वो अपने होठ करीब लाकर बोली पागल प्यार मेँ इजाज़त नही होती
अगर मेरी शायरियो से बुरा लगे तो बता देना दोस्तों
में दर्द बाटने के लिए लिखता हु दर्द देने के लिए नही
वो भी शौकीन हैं इतने कि गूगल पर हमारी शायरी ढूंढते हैं
उनको लगता है कि जज्बात भी बाजार में बिकते हैं
हम तो हँसते हैं दूसरो को"हंसाने की खातिर"..
दोस्तों
वरना "दिल पे ज़ख़्म" इतने हैं क रोया भी नहीं जाता
न कर चाह ए दोस्त सुनने को दास्तान ए इश्क़ मेरी
क़तरा क़तरा बिखर जायेगा ज़ुर्रत जो बताने की मैंने कर डाली
मैं तो फ़ना हो जाता हूँ अपनी आँखों में उनका अक्स देखकर
वोह ना जाने कैसे अपनी आँखे आईने में देखती होगी
दर्द-ए-दिल कम ना होगा ऐ सनम; आपकी महफ़िल से जाने के बाद; नाम बदनाम हमारा होगा; आपकी ज़िन्दगी से जाने के बाद।
💕💕 रुखसत हुए तेरी गली से हम आज कुछ इस कदर..
लोगो के मुह पे राम नाम था..
और मेरे दिल में बस तेरा नाम था..💕💕
अब तो सजाएं बन चुकीं है गुजरे हुए वक्त की
यादें ,
.
ना जानें क्यों मतलब के लिए मेहरबान होते
है लोग