थी जिसकी मौहब्बत में मौत भी मंजुर
आज उसकी नफरत ने जिना सिखा दिया
थी जिसकी मौहब्बत में मौत भी मंजुर
आज उसकी नफरत ने जिना सिखा दिया
दावे मोहब्बत के मुझे नहीं आते यारो; एक जान है जब दिल चाहे माँग लेना।
ज़रा सी बात पर बरसों के याराने गए;इतना तो हुआ पर कुछ लोग पहचाने गए।
क्या पता था दोस्त ऐसे भी दगा दे जाएगा; अपने दुश्मन को मेरे घर कापता दे जाएगा।
मुझे दोस्तों के साथ देखकर लौट जाते है गम
कहते है इस का कुछ बिगाड नहीं सकते हम
छोडो न यार क्या रखा है सुनने और सुनाने मे
किसी ने कसर नहीँ छोडी दिल दुखाने मेँ
सबसे खफा हो जाना मगर उससे खफा ना होना; जिसका जहां में तुम्हारे सिवा कोई और ना हो।
न दिल से अपनाया उसने, गैर भी समझा नही
ये भी इक रिश्ता है जिसमें कोई भी रिश्ता नही
है खबर अच्छी कि आजा मुंह तेरा मीठा करें; नफरतें तेरी हुई हैं बा-खुशी दिल को कुबूल।
पहचान कफन से नही होती है दोस्तों
लाश के पीछे काफिला बयाँ कर देता है रुतबा हस्ती का
हम आज भी शतरंज़ का खेल अकेले ही खेलते हे
क्युकी दोस्तों के खिलाफ चाल चलना हमे आता नही
मत देख पगली मुजे यु हसते हसते
मेरे दोस्त बडे कमीने हैं कह देंगे भाभीजी नमस्ते
G.R..ss
दुश्मनों से मोहब्बत होने लगी है मुझे; जैसे-जैसे दोस्तों को आज़माते जा रह हूं मैं...
सुना है खुदा के दरबार से कुछ फ़रिश्ते फरार हो गए; कुछ तो वापस चले गए; और कुछ हमारे यार हो गए!
कल हो न हो आज तो है; आज हो न हो यह पल तो है; यह पल हो न हो हम तो हैं; हम हों न हों हमारी दोस्ती तो है।