बोल दिया होता तुम्हे दर्द देना है
ऐ जिंदगी
मोहब्बत को बीच में लाने की क्या जरुरत थी
बोल दिया होता तुम्हे दर्द देना है
ऐ जिंदगी
मोहब्बत को बीच में लाने की क्या जरुरत थी
चलो मान लिया हमें मोहब्त करना नही आता
लेकीन ये तो बताओ तूम्हे दिल तोडना किसने सिखाया
तकलीफें तो हज़ारों हैं इस ज़माने में
बस कोई अपना नज़र अंदाज़ करे तो बर्दाश्त नहीं होता
दर्द की बारिशों में हम अकेले ही थे
ऐ दोस्त
जब बरसी ख़ुशियाँ न जाने भीड़ कहां से आ गयी
एक कविता ऐसी लिखूं ,जो तेरी आखों में दिखाई दे
आँखें बंद करू तो तेरी सांसो में सुनाई दे...
ये रिश्ते भी अजीब होते है बिना विश्वास के शुरू नही होते.
और बिना धोखे के खत्म नही होते....
लिखता हु केवल दिल की तसली के लिए, वरना जिन पर अशको का असर नही हुआ उनपे अलफाजो का कया होगा।
इंसान की फितरत को समझते हैं ये परिंदे,
कितनी भी मोहब्बत से बुलाना मगर पास नहीं आयेंगे
इंसान की फितरत को समझते हैं ये परिंदे,
कितनी भी मोहब्बत से बुलाना मगर पास नहीं आयेंगे
बड़े अहसान है तेरी दोस्ती के मुझपे
तेरी दोस्ती से मिली एक ठोकर ने मुझे चलना सिखा दिया
जहर के असरदार होने से
कुछ नही होता साहब...
खुदा भी
राजी होना चाहिये मौत देने के लिये...
एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद
दूसरा सपना देखने के हौसले को ज़िंदगी कहते हैं
जो झुकते हैं ज़िन्दगी में वो बुज़दिल नही होते
यह हुनर होता हैं उनका हर रिश्ता निभाने का
हमने भी मुआवज़े की अर्जी डाली है साहिब
उनकी यादों की बारिश ने खूब तबाह किया है भीतर तक
ख़ुदा ने ये सिफ़त दुनिया की हर औरत को बख्शी है; के वो पागल भी हो जाए तो बेटे याद रहते है।