छुपा लूं तुझको अपनी बाँहों में इस तरह, कि हवा भी गुजरने की इजाज़त मांगे;
मदहोश हो जाऊं तेरे प्यार में इस तरह, कि होश भी आने की इजाज़त मांगे!
छुपा लूं तुझको अपनी बाँहों में इस तरह, कि हवा भी गुजरने की इजाज़त मांगे;
मदहोश हो जाऊं तेरे प्यार में इस तरह, कि होश भी आने की इजाज़त मांगे!
दिल की बात लबों पर लाना मुश्किल है; सब को सच्ची राह दिखाना मुश्किल है; सूरज दुनिया को उजियारा देता है मगर; चमगादड़ को ये समझाना मुश्किल है।
हम मौत को भी जीना शिखा देंगे
बुजी जो शमा तो उसे भी जला देंगे
कसम तेरे प्यार की
जिस दिन हम जायेंगे दुनिया से
एक बार तुजे भी रुला देंगे
मुझे उससे कोई शिकायत ही नही
शायद हमारी किसमत मे चाहत ही नही
मेरी तकदीर को लिखकर खुदा भी मुक्कर गया
पुछा तो बोला ये मेरी लिखावट ही नही
फुर्सत किसे है ज़ख्मों को सरहाने की
निगाहें बदल जाती हैं अपने बेगानों की
तुम भी छोड़कर चले गए हमें
अब तम्मना न रही किसी से दिल लगाने की
मानते हैं सारा जहाँ तेरे साथ होगा
खुशी का हर लम्हा तेरे पास होगा
जिस दिन टूट जाऐगी साँसे हमारी
उस दिन तुझे हमारी कमी का एहसास होगा
...
पत्थर की दुनिया जज़्बात नही समझती दिल में क्या है वो बात नही समझती
तन्हा तो चाँद भी सितारों के बीच में है पर चाँद का दर्द वो रात नही समझती
प्यार वो हम को बेपनाह कर गये,
फिर ज़िनदगीं में हम को तन्नहा कर गये,
चाहत थी उनके इश्क में फ़नाह होने की,
पर वो लौट कर आने को,भी मना कर गये...
=RPS
फूलो से सजे गुलशन की ख्वाइश थी हमें
मगर जीवनरूपी बाग़ में खिल गए कांटे
अपना कहने को कोई नहीं है यहाँ
दिल के दर्द को हम किसके साथ बांटे
पत्थर की दुनिया जज़्बात नही समझती दिल में क्या है वो बात नही समझती
तन्हा तो चाँद भी सितारों के बीच में है पर चाँद का दर्द वो रात नही समझती
मुद्दत से तमन्ना हुई अफसाना न मिला हम खोजते रहे मगर ठिकाना न मिला
लो आज फिर चली गई जिंदगी नजरो के सामने से और उसे कोई रुकने का बहाना न मिला
सब कुछ मिला सुकून की दौलत न मिली
एक तुझको भूल जाने की मोहलत न मिली
करने को बहुत काम थे अपने लिए मगर
हमको तेरे ख्याल से कभी फुर्सत न मिली
ना में तुम्हे खोना चाहता हूँ ना तेरी याद में रोना चाहता हूँ जब तक ज़िन्दगी है मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा बस यही बात तुमसे कहना चाहता हूँ.
ग़ज़लों का हुनर साकी को सिखायेंगे; रोएंगे मगर आँसू नहीं आयेंगे; कह देना समंदर से हम ओस के मोती हैं; दरिया की तरह तुझसे मिलने नहीं आयेंगे।
जिन्गदी नहीँ हमेँ दोस्तोँ से प्यारी दोस्तोँ पे है हाज़र जान हमारी
आँखोँ में हमारे आँसू हो तो क्याँ जान से भी प्यारी है मुस्कान तुम्हारी