बड़ा शौक था उसे मेरा आशियाना देखने का
जब देखी मेरी गरीबी रास्ता बदल लिया

ना जाने कितनी मोहब्बत थी उसकी नफरत में
कि दुआओं से बेहतर थी बद् दुआ उसकी

दिल दिया है तो दिल मिला भी होगा किसी से
क्यों इश्क में हिसाब किए फिरते हो

मिल जाएँगे हमारी भी तारीफ़ करने वाले
कोई हमारी मौत की अफ़वाह तो फैलाओ यारो

वक़्त खराब है तो झुकता जा रहा हूँ
जब दिमाग खराब होगा तो हिसाब पल पल का लूँगा

लगता है किसी ने दरवाज़े पर दस्तक दी
अगर इश्क़ हो तो कहना अब दिल यहाँ नही रहता

जरूरी नहीं जो शायरी करे उसे इश्क हो
ज़िन्दगी भी कुछ ज़ख्म बे-मिसाल देती है

कुछ लोग पसंद करने लगे हैं अल्फाज मेरे
मतलब मोहब्बत में बरबाद और भी हुए हैं

क्या लिखूँ दिल की हकीकत आरज़ू बेहोश है
ख़त पर हैं आँसू गिरे और कलम खामोश है

देखकर दर्द किसी का जो आह निकल जाती है
बस इतनी सी बात आदमी को इन्सान बनाती है

ज़िंदगी भर मौत के लिए दुआ करते रहे खुदा से
और जब जीना चाहा तो दुआ क़बूल हो गई

सोच रखी है बहुत सी बाते तुम्हे सुनाने को
तुम हो, के आते ही नहीं हमें मनाने को

ठान लिया था किअब और नहीं लिखेंगे
पर उन्हें देखा और अल्फ़ाज़ बग़ावत कर बैठे

रुठुंगा अगर तुजसे तो इस कदर रुठुंगा की
ये तेरीे आँखे मेरी एक झलक को तरसेंगी

तुम न लगा पाओगे अंदाजा मेरी तबाही का
तुमने देखा नही है मुझको शाम होने के बाद