वो भी जिन्दा है मै भी जिन्दा हूँ
कत्ल तो सिर्फ इश्क का हुआ है

जी में आता है तेरे दामन में सर छुपा के
हम रोते रहें रोते रहें

कब तक भूगतूँ मै अब सज़ा तेरी
एइश्क गलती हो गई बस माफ़ कर अब मुझे

शेरों को कहना नया शिकारी आया हैं
या तो हुकूमत छोड़ दे या जीना

जो उनकी आँखों से बयां होते है
वो लफ्ज़ किताबो में कहाँ होते है

अरे कितना झुठ बोलते हो तुम
खुश हो और कह रहे हो मोहब्बत भी की है

तुम तुम तुम और सिर्फ तुम
एक लम्हा भी सरकता नहीं तुम्हारे बिना

दरवाज़ों के शीशे न बदलवा
लोगों ने अभी हाथ से पत्थर नहीं फेंके

एक तो ये गर्मी और एक तुम
दोनो बहनें हो क्या जो इतना सताती हो हमे

रहता तो नशा तेरी यादों का ही है
कोई पूछे तो कह देता हुँ पी रखी है

कितना मुश्किल है मनाना उस शख्स को
जो रूठा भी न हो और बात भी न करे

एक साल लगती है, एक पल की जुदाई
ऐसा लगता है खा जाएगी, बिरह की परछाई

🍷कुछ लफ्जों को बहकाया महकाया,
फिर भी तेरी खुबसुरती बयां न हुई..ll

वक़्त की रफ़्तार कभी बदलती नहीं
बस ज़िन्दगी की रफ़्तार बदल जाती है

इतना दर्द तो मोत भी नहीं देती है
जितना तेरी ख़ामोशी ने दिया है…