जाना था दूर तो पास बुलाया क्यों था,
प्यार ना था हमसे तो बहलाया क्यों था,
खुश थे हम अपनी गम-ऐ-ज़िन्दगी में,
चेहरा अपना दिखाकर तड़पाया क्यों था,
अगर वहशत थी सूरत से हमारी ही इतनी
तो कफ़न मेरे चहेरे से हटाया क्यों था...

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