चुराकर दिल मेरा वो बेखबर से बैठे हैं; मिलाते नहीं नज़र हमसे अब शर्मा कर बैठे हैं; देख कर हमको छुपा लेते हैं मुँह आँचल में अपना; अब घबरा रहे हैं कि वो क्या कर बैठे हैं।

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