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Dard Shayari
घर से निकलते थे मां के
घर से निकलते थे मां के
घर से निकलते थे मां के हाथों बनी रोटी लेकर
आज सड़क किनारे चाय तलाशती हैं जिंदगी
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बस एक ख़्वाहिशें ही तो बस
काश वो दिन अब और जल्दी
टूटता हुआ तारा सबकी दुआ पूरी
मेरी तकदीर को बदल देंगे मेरे
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मज़हब दौलत ज़ात घराना सरहद ग़ैरत
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