ऐसे जख्मों का क्या करे कोई
जिन्हें मरहम से आग लग जाए

कुछ खास जादू नही है मेरे पास
बस बातें दिल से करता हूँ

भूल गये हो चाहने वालो या
यादे भी महंगी कर दी सरकार ने

जलने लगा है जमाना सारा
क्योंकी चलने लगा है नाम हमारा

खुबसुरत यूहीं नहीं हु मैं
तेरे गम़ का निखार है मुझ पर

वो मुजे नफ़रत करें या प्यार करें
मैं तो एक दीवाना हूँ

रख लेता शहर को अपनी जेब में
अगर तेरी वफा बेवफा ना होती

है कोई वकील इस जहान में
जो हारा हुआ इश्क जीता दे मुझको

सुना है तुम ज़िद्दी बहुत हो,
मुझे भीअपनी जिद्द बनालो.!!

ख़ामोशी बहुत कुछ कहती हे
कान लगाकर नहीं दिल लगाकर सुनो

शौक था अपना-अपना..
किसी ने इश्क किया,
तो कोई जिंदा रहा…

जब भी चाहा सिर्फ तुम्हे चाहा
पर कभी तुम से कुछ नही चाहा

कोई ऐसी सुबह भी मिले मुझे
के मेरी आँख खुले तेरी आवाज से

जब इंसान अंदर से टूट जाता है
तो बहार से खामोश हो जाता है

फ़िक्र तो तेरी आज भी करते है
बस जिक्र करने का हक नही रहा