इस बार उन से मिल के जुदा हम जो हो गए; उन की सहेलियों के भी आँचल भिगो गए; चौराहों का तो हुस्न बढ़ा शहर के मगर; जो लोग नामवर थे वो पत्थर के हो गए।
इस बार उन से मिल के जुदा हम जो हो गए; उन की सहेलियों के भी आँचल भिगो गए; चौराहों का तो हुस्न बढ़ा शहर के मगर; जो लोग नामवर थे वो पत्थर के हो गए।
वो पगली आज बरसो बाद मिली तो गले लगकर खूब रोई में हल्का सा मुस्कुराया
और बोला तुम वही होना जिसने कहा था तुम्हारे जैसे तो हजारो मिलेंगे
माना कि तुम्हें मुझसे ज्यादा ग़म होगा; मगर रोने से ये ग़म कभी कम न होगा; जीत ही लेंगे दिल की नाकाम बाजियां हम; अगर मोहब्बत में हमारी दम होगा।
जब मुल्ला को मस्जिद में राम नजर आए
जब पंडित को मंदिर में रहमान नजर आए
सुरत ही बदल जाए इस दुनिया की गर
इंसान को इंसान में इंसान नजर आए
रिश्ते बनते और बिगड़ते रहते हैं; लोग सफ़र में मिलते बिछड़ते रहते हैं; शायर क्या जानेगे दौलत का हुनर; लफ़्ज़ों की दुनिया में उलझे रहते हैं।
जो जितना दूर होता है नज़रो से उतना ही वो दिल के पास होता है
मुस्किल से भी जिसकी एक ज़लक देखने को ना मिले वही ज़िंदगी मे सबसे ख़ास होता है
साँस थम जाती है पर जान नहीं जाती; दर्द होता है पर आवाज़ नहीं आती; अजीब लोग हैं इस ज़माने में ऐ दोस्त; कोई भूल नहीं पाता और किसी को याद नहीं आती।
वक़्त के मोड़ पे ये कैसा वक़्त आया है; ज़ख़्म दिल का ज़ुबाँ पर आया है; न रोते थे कभी काँटों की चुभन से; आज न जाने क्यों फूलों की खुशबू से रोना आया है।
जरुरी नहीं कि इंसान प्यार की मूरत हो,
सुंदर और बेहद खूबसूरत हो,
अच्छा तो वही इंसान होता है,
जो तब आपके साथ हो,
जब आपको उसकी जरुरत हो।
मुझे दर्द-ए-इश्क़ का मज़ा मालूम है; दर्द-ए-दिल की इन्तहा मालूम है; ज़िंदगी भर मुस्कुराने की दुआ मत देना; मुझे पल भर मुस्कुराने की सज़ा मालूम है।
तेरे प्यार का सिला हर हाल में देंगे;
खुदा भी मांगे ये दिल तो टाल देंगे;
अगर दिल ने कहा तुम बेवफ़ा हो;
तो इस दिल को भी सीने से निकाल देंगे।
महक होती तो तितलियाँ जरूर आती,
कोई रोता तो सिसकियाँ जरूर आती,
कहने को तो लोग मुझे बुहत याद करते है,
मगर याद करते तो हिचकियाँ जरूर आती..!!
वो तो अपने दर्द रो-रो के सुनते रहे; हमारी तन्हाइयों से आँख चुराते रहे; और हमें बेवफा का नाम मिला क्योंकि; हम हर दर्द मुस्कुरा कर छुपाते रहे!
सोचता हूँ कि अपने सारे अरमान भेज दूँ; दुआओं में अपनी तुम्हारा नाम भेज दूँ; दिन खिला और दिल को तुम याद आये; तो सोचा कि प्यारा सा सलाम भेज दूँ।
उसकी याद में हम बरसों रोते रहे; बेवफ़ा वो निकले बदनाम हम होते रहे; प्यार में मदहोशी का आलम तो देखिये; धूल चेहरे पे थी और हम आईना साफ़ करते रहे।