इस तन्हा रात में अजीब सी बात है, लाख
ना चाहने पर भी याद तू आती है !!
इस तन्हा रात में अजीब सी बात है, लाख
ना चाहने पर भी याद तू आती है !!
ऐ राम तेरे युग का रावण ही अच्छा था
दस चेहरे थे पर सब सामने तो थे..!!
अफवाह थी कि मुझें इश्क हुआ है
लोगों ने पूछ पूछ कर आशिक बना दिया
हमे सिंगल रेहने का शौक नही
हमारा तेवर झेल सके वो आज तक मिली नही
ना तुमने आवाज़ दी ना मैंने मुड़ के देखा
ख़ामोशी चलती रही दरम्यां !!
आज दर्द कुछ इस तरह से हो रहा है
कम्बख्त जैसे फिर कभी होगा ही नही
हम बने थे तबाह होने के लिए…… तेरा छोड़ जाना तो महज़ इक बहाना था….!!
वो पूछते हैं क्या नाम है मेरा
मैंने कहा बस "अपना" कहकर पुकार लो
यूँ ही रूठे रहना तुम हम से
कसम से तुम रूठे हुये भी अच्छे लगते हो...
ना वो मिलती है, ना मैं रुकता हूँ;
पता नहीं रास्ता गलत है, या मंजिल!
जरा सा भी नही पिघलता दिल तेरा
इतना क़ीमती पत्थर कहाँ से ख़रीदा
सूनो मेरे किस्से में तुम आते हो
मेरे हिस्से में क्यूँ नहीं आते
आज कल अपना लास्ट सीन तक छुपा लेते हे लोग
दिल क्या ख़ाक दिखायेंगे
हर रोज हर वक़्त तेरा ही ख्याल
ना जाने किस कर्ज की क़िस्त हो तुम।
सबको मालुम है की जिंदगी बेहाल है
फिर भी लोग पूछते है क्या हाल है