दर्द ऐ महोबत तो हमने भी बहुत की,
पर भुल गये थे की HEROIN कभी
VILLAIN की नही होती...!!

इश्क का धंधा ही बंघ कर दिया साहेब
मुनाफे में जेब जले और घाटे में दिल

बस एक ख़्वाहिशें ही तो बस में मेरे,
वरना लकीरों पर मेरा ज़ोर कहाँ ।।

उठाये जो हाथ उन्हें मांगने के लिए,
किस्मत ने कहा, अपनी औकात में रहो।

मिली हवाओ में उड़ने की वो सजा यारो
के मै जमी के रिश्तो से टूट गया यारो

गुज़र गया आज का दिन पहले की तरह
ना हम को फुरसत मिली ना उनको ख्याल आया

राह-ए-वफ़ा में हम को ख़ुशी की तलाश थी; दो गाम ही चले थे कि हर गाम रो पड़े।

अंजान तुम बने रहे ये और बात है
ऐसा तो क्या है कि तुमको हमारी खबर नहीं

लगा के आग दिल में चले हो कहाँ हमदम
अभी तो राख उड़ने पे तमाशा और भी होगा

अब तक याद कर रही हो, पागल हो तुम.
.
उसने तो तेरे बाद भी हजारों भुला दिय

जो ना समझ है वो ही मोहब्बत करता है
वो मोहब्बत ही क्या जो समझ में आ जाए

ये मासूमियत का कौन सा अन्दाज़ है,
पर काट कर कह दिया कि,अब तुम आजाद हो।

छोड़ दो किसी से वफा की आस ऐ दोस्त
जो रूला सकता हैं वो भुला भी सकता हैं

मौजूद थी उदासी अभी तक पिछली रात की
बहला था दिल ज़रा सा की फिर रात हो गई

मुद्दत गुज़र गयी कि यह आलम है मुस्तक़िल; कोई सबब नहीं है मगर दिल उदास है।