आजकल आम भी खुद ही गिर जाया करते है पेड़ो से
क्योंकि उन्हें छिप छिप कर तोड़ने वाला बचपन जो नहीं रहा

जाने क्या अंजाम होगा आजकल के इश्क़ का
लडकिया हर दूसरे लड़के में वफ़ा ढूंढ़ती है और लड़के हर गली में रूम

कोशिश तो होती है कि तेरी हर ख्वाहिश पूरी करूँ
पर डर लगता है के तु ख्वाहिश मे मुझसे जुदाई ना माँग ले

हम तो निकले थे तलाशे इश्क में अपनी तनहाईयों से लड़ कर
मगर गर्मी बहुत थी गन्ने का रस पी के वापिस आ गए

"बोतल छुपा दो कफ़न में मेरे, शमशान में पिया करूंगा, जब खुदा मांगेगा हिसाब, तो पैग बना कर दिया करूंगा"

बहुत रोये थे हम उस दिन जब एहसास हुआ था, खंजर लगा एक पीठ पर
आज लहुलुहान पीठ लेकर भी चुपचाप चलते जा रहे

Beta: बड़ा आदमी बनना है तो रिस्क उठाना पड़ेगा
Mom: हरामखोर पहले ये चप्पल उठा और साईड में रख अभी पोछा लगाया है

इतनी धूल और सीमेंट है शहरों की हवाओं में
आजकल कब लोगों का दिलपत्थर का हो जाता है
पता ही नहीं चलता

कभी आंसू कभी ख़ुशी बेची; हम गरीबों ने बेकसी बेची; चंद सांसे खरीदने के लिए; रोज थोड़ी सी जिन्दगी बेची।

डाल दो अपनी दुआओं के कुछ अल्फ़ाज़ मेरी झोली में
क्या पता आपके लब़ हिलें और मेरी ज़िन्दगी सँवर जाऐ

खिंच चुके है मासूम जो नकाब चेहरों से खुद ही गिर जाएँगे एक दिन
न बेकार समय गँवा कुछ सच्चे चेहरे तलाश

अब तो ये भी नहीं रहा एहसास दर्द होता है या नहीं होता; इश्क़ जब तक न कर चुके रुस्वा आदमी काम का नहीं होता।

चली जाने दो उसे किसी ओर कि बाहों मे
इतनी चाहत के बाद जो मेरी ना हुई
वो किसी ओर कि क्या होगी दोस्तों

बहुत अजीब है यह बंदिशें मोहब्बत की; कोई किसी को बहुत टूट कर चाहता है; और कोई किसी को चाह कर टूट जाता है।

हो चुके अब तुम किसी के
कभी मेरी ज़िंदगी थे तुम
भूलता है कौन मोहब्बत पहली
मेरी तो सारी ख़ुशी थे तुम