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Maa Shayari
न लफ़्ज़ों का लहू निकलता है
न लफ़्ज़ों का लहू निकलता है
न लफ़्ज़ों का लहू निकलता है न किताबें बोल पाती हैं
मेरे दर्द के थे दो गवाह दोनों बे-जुबान निकले
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इश्क़ ने हमे बेनाम कर दियाहर
दोस्ती एक प्यार भरा पैगाम है;
दोस्ती नाम हैं सुख दुःख की
सालों बाद ना जाने क्या समय
फूलों की वादियों में हो बसेरा
फूलों की महक को चुराया नही
दोस्त हैं तो आँसुओं की भी
ए दोस्त तेरी दोस्ती का क़र्ज़
गुनाह करके सजा से डरते हैं
ऐ दोस्त तेरी दोस्ती के लिए
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