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Jeoulousy Shayari
आँखें हैं पर अंधी हूँ; पैर
आँखें हैं पर अंधी हूँ; पैर
आँखें हैं पर अंधी हूँ; पैर हैं पर लंगड़ी हूँ; मुँह है पर मौन हूँ; बतलाओ तो मैं कौन हूँ?
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एक राजा की अनोखी रानी दुम
एक थाल मोतियों से भरा; सबके
साँपो से भरी एक पिटारी सब
सबके ही घर ये जाये; तीन
हरा आटा लाल परांठा; मिलजुल कर
सुबह सवेरे आता हूँ मैं; शाम
प्रथम कटे तो दर हो जाऊं;
आगे त है पीछे त है;
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वो क्या है जो हमेशा बढ़ती
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