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Dard Shayari
अभी से क्यों छलक आये तुम्हारी
अभी से क्यों छलक आये तुम्हारी
अभी से क्यों छलक आये तुम्हारी आँख में आंसू
अभी छेड़ी कहाँ है दास्ताने जिन्दगी मैंने
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वो अजनबी फिर से ख़ास हो
हथेली पर रखकर नसीब अपनाक्यूँ हर
ज़ख़्मों के बावजूद मेरा हौसला तो
मुझे उन आंखों मे कभी आंसु
चन्द लम्हें जो गुज़ार आया हूँ
वो अच्छे हैं तो होंगे औरो
जब बिखरेगा तेरे रूखसार पर तेरी
लफ्जो में कुछ यू उलझा हु
Khushiyan Bohot Tarasti Hain Milnay Ke
देखकर तुमको अकसर हमें एहसास होता
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