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Dosti Shayari
काँटा हूँ मैँ जिसे चुभता हूँ
काँटा हूँ मैँ जिसे चुभता हूँ
काँटा हूँ मैँ जिसे चुभता हूँ उसी का हो जाता हूँ
फूल नही जो हर भँवरे को चूमता फिरुँ
er kasz
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