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Love Shayari
मजबूरियां ओढ़ के निकलता हूँ घर
मजबूरियां ओढ़ के निकलता हूँ घर
मजबूरियां ओढ़ के निकलता हूँ घर से
वर्ना शौक तो अब भी है बारिशों में भीगने का
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कमाल करते हो ऐ दिल तुम
Hadd ho gai intezar kiaisi ki
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