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Two Lines
Mohabbat Shayari
मुस्कुरा देता हूँ अक्सर देखकर पुराने
मुस्कुरा देता हूँ अक्सर देखकर पुराने
मुस्कुरा देता हूँ अक्सर देखकर पुराने खत तेरे,
तू झूठ भी कितनी सच्चाई से लिखती थी...!
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