बिना कुछ कहे बिना कुछ सुने बस रूठ के चल दिए
ये जानते हुए कि हमें मनाना नहीं आता

अजीब शख्स है​ नारा​ज ​हो के हंसता है;​​
मैं चाहता हूं ख़फ़ा हो तो ख़फ़ा ही लगे...

उसके साथ जीने का इक मौका दे दे ऐ खुदा;​
​ तेरे साथ तो हम मरने के बाद भी रह लेंगे​।

फैसले से पहेले कैसे मान लूं हार क्योंकी
वक्त अभी जीता नहीँ और मैं अभी हारा नही

मत सोना किसी के गोद में सर रखकर,
जब वो छोङता है तो रेशम के तकिय पर भी नीदं नही आती...

ए खुदा रखना मेरे दुश्मनो को भी मेहफूज ..!
वरना मेरी तेरे पास आने की दुआ कौन करेगा ..!!

मोहब्बत भी ईतनी शीद्दत से करो कि वो धोखा दे कर भी सोचे
की वापस जाऊ तो किस मुंह से

​अब मौत से कह दो कि हम से नाराज़गी खत्म कर ले;
वो बदल गया है जिसके लिए हम ज़िंदा थे​।

विश्वास भी अजीब चीज़ है,
कोई विश्वास के लिए रोता है,
कोई विश्वास करके रोता है।

चूमना छोड दो अंधेरो में मेरी तस्वीरों को
सुबह मेरे चेहरे पर लालियां नजर आती है

इंसान को अपनी औकात भूलने की बीमारी है
और कुदरत के पास उसे याद दिलाने की अचूक दवा

जिस जिस को मिली खबर सबने एक ही सवाल किया
तुमने क्यों की मुहब्बत तुम तो समझदार थे

गालिब पुछता था मुझे पहुंची कहाँ तक शायरी
मैने तेरा नाम लिया उसने कहा बहुत अच्छे

खुद पुकारेगी मंज़िल तो ठहर जाऊँगा
वरना मुसाफिर खुद्दार हूँ यूँ ही गुज़र जाऊँगा

देखा करो कभी अपनी माँ की आँखों में,
ये वो आईना है जिसमें बच्चे कभी बूढ़े नहीं होते…!