देखते हैं और कौन अपनाता है मुझे
तेरी मोहब्बत के दाग मेरे दिल पर साफ़ नज़र आते हैं
G.R..s

बड़ी सादगी से उसने कह दिया, रात को सो भी लिया कर
रातो को जागने से मोहब्बत लौट नहीं आती

तेरा ज़िक्र तेरी फिक्र तेरा एहसास तेरा ख्याल
तू खुदा नहीं फिर हर जगह मौज़ूद क्यूँ है

मत पूछो कैसे गुजरता है हर पल तुम्हारे बिना
कभी बात करने की हसरत कभी देखने की तमन्ना

शायरी से ज्यादा प्यार मुझे कहीं नही मिला..
ये सिर्फ वही बोलती है, जो मेरा दिल कहता है…

कैसे गुज़रती है मेरी हर एक शाम तेरे बगैर,
अगर तुम देख लेते तो कभी तनहा ना छोड़ते मुझे..

आखिर गिरते हुऐ आँसुओं ने पूछ ही लिया
निकाल दिया न मुझे उसके लिऐ जिसके लिए तू कुछ भी नही

हँस कर कबूल क्या कर ली सजाएँ मैंने,
ज़माने ने दस्तूर ही बना लिया हर इलज़ाम मुझ पर मढ़ने का।

मैं मर भी जाऊ तो उसे ख़बर भी ना होने देना
मशरूफ़ सा शख्स है कही उसका वक़्त बर्बाद ना हो जाये

छोड़ दिया यारो किस्मत की लकीरों पर यकीन करना
जब लोग बदल सकते हैं तो किस्मत क्या चीज़ है

याद आयेगी मेरी तो बीते कल को पलट लेना,
यूँ ही किसी पन्ने में मुस्कुराता हुआ मिल जाऊंगा।

निगाहों में अभी तक दूसरा कोई चेहरा ही
नहीं आया.. भरोसा ही कुछ ऐसा था
तुम्हारे लौट आने का..

तुमने कहा था हर शाम तेरे साथ गुजारेगे,
तुम बदल चुके हो या फिर तेरे शहर में शाम ही नहीं होती?

मैं मर भी जाऊ, तो उसे ख़बर भी ना होने देना ….
मशरूफ़ सा शख्स है, कही उसका वक़्त बर्बाद ना हो जाये …

कमाल का जिगर हैँ उनका दोस्तो उनको मालूम हैँ की
हम उनके बिना नहीँ रह सकते फिर भी छोङकर चले गऐ