काश आंसुओ के साथ यादे भी बह जाती
तो एक दिन तस्सली से बैठ के रो लेते
काश आंसुओ के साथ यादे भी बह जाती
तो एक दिन तस्सली से बैठ के रो लेते
आप जैसे दोस्तों का सहारा है,
तभी तो आज भी हँसकर जीना जानते हैं हम.”
सुनो कोई और काम सौंप दो मुझको
ये क्या तुझको सोचना और सोचते ही रहना
खुश थे हम अपनी गम-ऐ-ज़िन्दगी में,
चेहरा अपना दिखाकर तड़पाया क्यों था,
वजह पूछ मत तू मेरे रोने कि
तेरी मुस्कराहट पे ख़ुशी के दो आंसू गिर गए.
फासला नहीं मुझे फैसला चाहिए ….
तेरी यादों के साथ रहूँ या तेरे साथ …
हजार गम मेरी फितरत नही बदल सकते
क्या करू मुझे आदत हे मुस्कुराने की
हजार गम मेरी फितरत नही बदल सकते
क्या करू मुझे आदत हे मुस्कुराने की
यूँ ही वो दे रहा है क़त्ल कि धमकियाँ..,
हम कौन सा ज़िंदा हैं जो मर जाएंगे..
तुम्हारे पास ही होगा, जरा फिर से ढुंढो
मेरे सीने से दिल आखिर गया कहा
अभी लिखी है गज़ल तो अभी दीजिये दाद़
वो कैसी तारीफ जो मिले मौत के बाद
जरा सी बात पर बरसों के याराने गए
मगर इतना तो हुआ कि कुछ लोग पहचाने गए
मौजूद थी उदासी अभी तक पिछली रात की
बहला था दिल ज़रा सा की फिर रात हो गई
दुआऐं जमा करने में लगा हूँ यारों.
सुना है दौलत और शोहरत साथ नही जाते !
सारा बदन अजीब से खुशबु से भर गया
शायद तेरा ख्याल हदों से गुजर गया
G.R..s