कोइ साथ ना दे मेरा चलना मुझे आता है,
हर आग से वाकिफ हु झलना मुझे आता है,
कोइ साथ ना दे मेरा चलना मुझे आता है,
हर आग से वाकिफ हु झलना मुझे आता है,
बुरे हैं ह़म तभी तो ज़ी रहे हैं
अच्छे होते तो द़ुनिया ज़ीने नही देती
अभी लिखी है गज़ल तो अभी दीजिये दाद़
वो कैसी तारीफ जो, मिले मौत के बाद...!!
अब तेरे नाम से ही जाने जाते हैं हम
ना जाने इसे शोहरत कहते है या बदनामी
कहाँ जा रहे हो तुम बिछड़ कर हमसे,
कौन सी जगह है जहां यादों से बच पाओगे…
जिस घाव से खून नहीं निकलता
समज लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है
G.R..s
आज मुस्कुराने की हिम्मत नहीं मुझ में..
आज टूट कर मुझे तेरी याद आ रही है..!!
तुम सो जाओ अपनी दुनिया में आराम से
मेरा अभी इस रात से कुछ हिसाब बाकी है
तेरी मुहब्बत भी किराये के घर की तरह थी
कितना भी सजाया पर मेरी नहीं हुई
आपको ज़ीद हे अगर हमे भूलने की तो
हमे भी ज़ीद हे आपको अपनी याद दिलाने की
बदला वफाओं का देंगे बहुत सादगी से हम;
तुम हमसे रूठ जाओ और ज़िंदगी से हम।
करने को बहुत काम थे अपने लिए मगर;
हमको तेरे ख्याल से कभी फुर्सत न मिली।
कह गई थी वो कभी ना आऊँगी
रात में रोज़ आ जाती है ख्वाबों मेँ झूठी कहीँ की
नेक बनने के लिए ऐसी कोशिश करो,
जैसी कोशिश खुबसुरत दिखने के लिए करते हो!!
धड़कनों को तो रास्ता दे दिजीये..
आप तो पुरे दिल पर क़ब्ज़ा किये बैठे हे..