ज़िक्र करूँ क्या मैं अपने बारे में
मुझे खुद नहीं मालूम मेरी औकात क्या है
ज़िक्र करूँ क्या मैं अपने बारे में
मुझे खुद नहीं मालूम मेरी औकात क्या है
छोटे से दिल मे किस किस को जगह दूं
या रब ग़म रहे फ़रियाद रहे या उसकी याद रहे
G.R..s
पुरानी होकर भी खास होते जा रही है
मोहब्बत बेशरम है बेहिसाब होते जा रही है
तुमसे अच्छी तो हमारे गाँव की वो खटारा बस थी
जिस पर लिखा था लो मैं फिर आ गयी.....
तुम मेरे पास थे ..हो.. और रहोगी…
ख़ुदा का शुक्र है यादों की कोई उम्र नहीं होती..
क्या हुआ अगर हम किसी के दिल में नहीं धङकते ....? आँखों में तो बहुतो के खटकते हैं .....
मैं वहाँ जाकर भी मांग लूंगा तुझे
कोई बताये तो फैसले कुदरत के कहाँ होते है..
हवा से कह दो कि खुद को आजमा के दिखाये बहुत
चिराग बुझाती है एक जला के दिखाये
ना कोई हमदर्द था ना ही कोई दर्द था
फिर एक हमदर्द मिला उसी से सारा दर्द मिला
सुकून मिलता है दो लफ्ज़ कागज पर उतार कर
चीख भी लेती हूँ और आवाज भी नहीं होती
आये हो आँखों में तो कुछ देर तो ठहर जाओ
एक उम्र लग जाती है एक ख्वाब सजाने में
नींद से क्या शिकवा जो आती नही रात भर
कसुर तो उन सपनों का है जो सोने नही देते
यू पलटा मेरी किस्मत का सितारा मेरे दोस्तो उसने भी छोड़़ दिया और अपनों ने भी
कभी भी ख़ुशी मे शायरी नहीं लिखी जाती है
ये वो धुन है जो दिल टूटने पर बनती है
कभी भी ख़ुशी मे शायरी नहीं लिखी जाती है
ये वो धुन है जो दिल टूटने पर बनती है