महरूम ना कर साये से अपने ....
बिखर जायेंगे फिर आँखों से सपने !!
महरूम ना कर साये से अपने ....
बिखर जायेंगे फिर आँखों से सपने !!
और भी बनती लकीरें दर्द की शुकर है खुदा तेरा जो हाथ छोटे दिए !!
ऐ अन्ज़ान उससे कह दो कि, मोहब्बत नही आती, पर रहम तो आता होगा ना?
तेरी बातों से कुछ कम रह गयी थी
कल कुछ उस काजू-कतली की मिठास
जीँदगी हो या शतरंज मजा तभी आता है
जब रानी मरते दम तक साथ हो
जब इंसान अंदर से टूट जाता है
तो बहार से खामोश हो जाता है !!
सबूत गूनाहो के होते हैं,
बेगुनाह मुहब्बत का क्या सबूत दू ?
झूठ भी बड़ी अजीब चीज है..
बोलना अच्छा लगता है ...
सुनना बुरा.........
लड़ाई दिल और दिमाग की थी
कम्बख्त लीवर को नुक्सान उठाना पड़ा
ना शौहर बनाया न दीवाना बनाया
उसे कोई रिश्ता ना निभाना आया
तड़पती देखता हूँ जब कोई चीज
.
उठा लेता हूँ अपना दिल समझ कर
कौन समझ पाया है आज तक हमें
हम अपने हादसों के इकलौते गवाह है
तुम मेरा प्यार हो या प्याज हो
जब भी मिलते हों रुला देते हों
हम तो तराश देते पत्थरो को भी
उसे हम मोम को भी ना पिघलाना आया
तु होगी चाँद का टुकडा ,
पर मे भी मेरे पापा का जीगर का टुकडा हु..