ज़रा देखना दरवाज़े पे कोई कुछ देने आया है
ज़ख्म हो तो रख लेना इश्क़ हो तो रफा दफा
ज़रा देखना दरवाज़े पे कोई कुछ देने आया है
ज़ख्म हो तो रख लेना इश्क़ हो तो रफा दफा
सुकून मिलता है दो लफ़्ज़ों को कागज पर उतार कर
चीख भी लेते हे और आवाज भी नही आती
तहज़ीब में भी उसकी क्या ख़ूब अदा थी..
नमक भी अदा किया तो ज़ख़्मों पर छिड़ककर..
उसकी हर गलती माफ हो जाती है,
जब वो मुस्कुरा कर पुछती है
करवु छे आजे....?...😜
😜😜
आइना देख के कई बार मन में ख्याल आता है कि
Arrange मैरिज के भी चांस भी नहीं लग रहे भाई
क्या हुआ अगर हम किसी के दिल में नही धड़कते..
आँखों में तो कईयों के रड़कते हैं..
ये बिखरे हुए हालात देख के लगता नहीं मेरे
के कितना ढूँढ़ा होगा तुझे जिन्दगी
तुझसे अच्छे तो जख्म हैं मेरे
उतनी ही तकलीफ देते हैं जितनी बर्दास्त कर सकूँ
बस तुम्हें पाने की तमन्ना नही रही
मोहब्बत तो आज भी तुम्हें बेसुमार करते है
वो छोटी छोटी उड़ानों पे गुरुर नहीं करता
जो परिंदा अपने लिये आसमान ढूँढ़ता है
मोहब्बत करने से फुरसत नहीं मिली यारो
वरना हम करके बताते नफरत किसको कहते है
एक स्टिंग मेरे दिल का भी हो जाता...
तुम्हें पता तो चलता, कितना प्यार है तुमसे❤
सुबह हुई कि छेडने लगा है सूरज मुझको । कहता है बडा नाज़ था अपने चाँद पर अब बोलो ।।
क्या मिला हमें सदियों कि मोहब्बत से
एक शायरी का हुनर और दुसरा जागने कि सज़ा
जिसको जितनी चाहिए हो ले जाए रौशनी
हमने चिरागे दिल जला दिया है राहे इश्क में