ठोकरें खाकर भी ना संभले तो मुसाफिर का नसीब
राह के पत्थर तो अपना फ़र्ज़ अदा करते हैं

गुज़ारिशें थक न जायें कहीं मिन्नते करते करते
कभी तो दुआ की तरह आके तू थाम ले मुझे

तलब करे तो मैं अपनी आँखें भी उन्हें देदू
मगर ये लोग मेरी आँखों के ख्वाब मांगते है

दिमाग पर ज़ोर लगाकर गिनते हो गलतियां मेरी
कभी दिल पर हाथ रख के पूछना कसूर किसका है

सरकार ढूंढ-ढूढ कर सिर्फ काले धन वालो को ही पकड़ रही है
काले मन वाले निश्चिन्त रहें

उस शक्श से फ़क़त इतना सा ताल्लुक हैं मेरा !!
वो परेशान होता है तो मुझे नींद नही आती है !!

जीत गया तू मैं आखिर हार गई
कई रुख धारें मोडीं ह्रदय में प्रेम की नदिया आखिर सूख गई

हजारो हसिनाये आऐगी और हजारो जाऐगी
पर इस बादशाह के दिल की रानी तू है और तू ही रहेगी

तुम जिन्दगी में आ तो गये हो मगर ख्याल रखना
हम ‘जान’ दे देते हैं मगर जाने नहीं देते

रातों को आवारगी की आदत तो हम दोनों में थी
अफ़सोस चाँद को ग्रहण और मुझे इश्क हो गया

अब कहा जरुरत है हाथों मे पत्थर उठाने की
तोडने वाले तो जुबान से ही दिल तोड देते हैं

ऐ इश्क़ दिल की बात कहूँ तो बुरा तो नहीं मानोगे
बड़ी राहत के दिन थे तेरी पहचान से पहले

मेरी हँसी में भी कई ग़म छुपे हैं डरता हूँ
बताने से कहीं सबका प्यार से भरोसा न उठ जाए

ऐ इश्क़ दिल की बात कहूँ तो बुरा तो नहीं मानोगे
बड़ी राहत के दिन थे तेरी पहचान से पहले

इश्क करने चला है तो कुछ अदब भी सीख लेना
इसमें हँसते साथ है पर रोना अकेले ही पड़ता है