जिंदगी में कुछ दोस्त खास बन गये
मिले तो मुलाकात और बिछड़े तो याद बन गये
कुछ दोस्त धीरे धीरे फिसलते चले गये
पर जो दिल से ना गये वो आप बन गये
जिंदगी में कुछ दोस्त खास बन गये
मिले तो मुलाकात और बिछड़े तो याद बन गये
कुछ दोस्त धीरे धीरे फिसलते चले गये
पर जो दिल से ना गये वो आप बन गये
दिन बीत जाते हैं सुहानी यादें बनकर; बातें रह जाती हैं कहानी बनकर; पर दोस्त तो हमेशा दिल के करीब रहेंगे; कभी मुस्कान तो कभी आँखों में पानी बनकर।
तेरी ख़ामोशी हमारी कमजोरी हैं
कह नहीं पाना हमारी मज़बूरी हैं
क्यों नहीं समझते हमारी खामोशियो को
खामोशियो को जुबा देना बहुत जरुरी हैं
वायदा तो नहीं करते दोस्ती निभायेगें
कोशिश यही रहेगी आपको नहीं सतायेंगे
रहना चाहते हैं आपके हम करीब इसलिए
आपकी पड़ोसन को हम ही पटायेंगे
नब्ज़ मेरी देखी और बीमार लिख दिया; रोग मेरा उसने दोस्तों का प्यार लिख दिया; कर्ज़दार रहेंगे उम्र भर उस हक़ीम के; जिसने दवा में दोस्तों का साथ लिख दिया।
किसी को पाने में वक़्त लगता है; किसी को अपनाने में वक़्त लगता है; हमने बहुत पहले मांगी थी आपकी दोस्ती; पर खुदा ने कहा अनमोल चीज को पाने में वक़्त लगता है।
दोस्त को दोस्त का इशारा याद रहेता हे
हर दोस्त को अपना दोस्ताना याद रहेता
हे कुछ पल सच्चे दोस्त के साथ तो
गुजारो वो अफ़साना मौत तक याद रहेता हे.
दोस्त की दोस्ती से ज़िन्दगी सुनहरी होती है; साथ उसके हर ख्वाहिश पूरी होती है; अगर मिले दोस्त ऐसा जो समझ जाये दिल की बात; फिर कहाँ कोई बात अधूरी होती है।
क्यूँ मुश्किलों में साथ देते हैं दोस्त
क्यूँ गम को बाँट लेते हैं दोस्त
न रिश्ता खून का न रिवाज से बंधा है
फिर भी ज़िन्दगी भर साथ देते हैं दोस्त
प्यार करने वालों की किस्मत ख़राब होती है
हर वक़्त दुःख की घड़ी साथ होती है
वक़्त मिले तो रिश्तों की किताब पढ़ लेना
दोस्ती हर रिश्ते से लाज़वाब होती है
ग़म में हंसने वालो को कभी रुलाया नहीं जाता! लहरों से पानी को हटाया नहीं जाता! होने वाले हो जाते हैं खुद ही दिल से अपने! किसी को कहकर अपना बनाया नहीं जाता!
खुदा ने दोस्त को दोस्त से मिलवाया; दोस्तों के लिए दोस्ती का रिश्ता बनाया; फिर खुदा ने फरमाया कि; दोस्ती रहेगी उसकी कायम जिसने दोस्ती को दिल से निभाया।
तूफ़ान है जिंदगी तो साहिल है तेरी दोस्ती; सफ़र है मेरी जिंदगी मंजिल है तेरी दोस्ती; मौत के बाद मिल जायेगी मुझे जन्नत; जिंदगी भर रहे अगर कायम तेरी दोस्ती!
दिल का दर्द दिल तोड़ने वाले क्या जाने
प्यार के रिवाजों को ज़माने क्या जाने
होती कितनी तकलीफ़ लड़की पटाने मैं
ये घर पे बैठा लड़की का बाप किया जाने
क्या फ़र्क है दोस्ती और मोहब्बत में रहते तो दोनों दिल में ही हैं लेकिन फ़र्क तो है; बरसों बाद मिलने पर दोस्ती सीने से लगा लेती है और मोहब्बत नज़र चुरा लेती है।