देखने आये थे वो अपनी मोहब्बत का असर कहते हैं कि आये हैं आयदात कर के।
देखने आये थे वो अपनी मोहब्बत का असर कहते हैं कि आये हैं आयदात कर के।
नमक की तरह हो गयी है जिंदगी
लोग स्वादानुसार इस्तेमाल कर लेते हैं
न ज़ख्म भरे, न शराब सहारा हुई.,
न वो वापस लौटीं, न मोहब्बत दोबारा हुई..
बरसों हुए न तुम ने किया भूल कर भी याद; वादे की तरह हम भी फ़रामोश हो गए।
उसने पूछा की क्या पसंद है तुम्हे..??
और मैं बहुत देर तक उसे देखती रही..!!
मांग लूँ यह मन्नत की फिर वही जहाँ मिले, फिर वही गोद, फिर वही माँ मिले...
तमाम लोग मेरे साथ थे मगर मैं तो....
तमाम उम्र तुम्हारी कमी के साथ रहा....
तड़पने वाले को दुआ बस मौत की दो
तुम ख़्वाबों में आ मुझको जिलाया न करो
इतने भी प्यारे नही हो तुम
ये तो मेरी चाहतों ने सर चढ़ा रखा है तुमको
एक नींद है जो रात भर नहीं आती,
और एक नसीब है, जो ना जाने कब से सो रहा है..
अगर दिल पे मेरे हाथ ही रख दे तो
टूटती साँस भी कुछ दर्र संभाल जाती है
जिस घाव से खून नहीं निकलता
समझ लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है..
हो सके तो अब के कोई सौदा न करना;
मैं पिछली मोहब्बत में सब हार आया हूँ
युं ही हम दील को साफ रखा करते थे
पता नही था की किमत चेहरो की होती हैँ
ज़रूरी नहीं रौशनी चिरागों से ही हो; बेटियाॅ भी घर में उजाला करती है।