कभी आंसू तो कभी ख़ुशी देखी
हमने अक्सर मजबूरी और बेकसी देखी
उनकी नाराज़गी को हम क्या समझें
हमने तो खुद अपनी तकदीर की बेबसी देखी
कभी आंसू तो कभी ख़ुशी देखी
हमने अक्सर मजबूरी और बेकसी देखी
उनकी नाराज़गी को हम क्या समझें
हमने तो खुद अपनी तकदीर की बेबसी देखी
संगे मरमर की तू बात न कर मुझसे
मैं अगर चाहूँ तो एहसास ऐ मोहब्बत लिख दु
ताज महल भी झूक जाएगा चूमने के लिए
में जो एक पथर पे Tera Naam लिखदु
सबकी ज़िन्दगी में खुशिया देने वाले मेरे दोस्त की ज़िन्दगी में कोई गम न हो
उसको मुझसे भी अच्छे दोस्त मिले अब इस दुनिया में हम न हो
सबकी ज़िन्दगी में खुशिया देने वाले मेरे दोस्त की ज़िन्दगी में कोई गम न हो
उसको मुझसे भी अच्छे दोस्त मिले अब इस दुनिया में हम न हो
किसीके अच्छाई का इतना भी फायदा मत उठाओ की वो बुरा बनने के लिये मजबुर बन जाये
बुरा हमेशा वही बनता हे जो अच्छा बनके टूट चूका होता हे
दिल मे एक शोर सा हो रहा है बिन आप के दिल बोर हो रहा है
बहुत कम याद करते हो आप हमे कही ऐसा तो नही की ये दोस्ती का रिश्ता कमज़ोर हो रहा है
चाहतों ने किया मुझ पे ऐसा असर; जहाँ देखूं मैं देखूं तुम्हें हमसफसर; मेरी खामोशियाँ भी जुबान बन गयी; मेरी खामोशियाँ दास्तान बन गयी।
वक़्त नूर को बेनूर बना देता है
छोटे से जख्म को नासूर बना देता है
कौन चाहता है अपनों से दूर रहना
पर वक़्त सबको मजबूर बना देता है
बनाने वाले ने दिल काँच का बनाया होता तोड़ने वाले के हाथ मे जखम तो आया होता
जब बी देखता वो अपने हाथों को उसे हमारा ख़याल तो आया होता
उनकी आँखों से काश कोई इशारा तो होता
कुछ मेरे जिने का सहारा तो होता
तोड देते हम हर रसम जमाने की
एक बार ही सही उसने पुकारा तो होता
सुहाना मौसम ओर हवा मे नमी होगी आशुंओ की बहती नदी होगी
मिलना तो हम तब भी चाहेगे आपसे जब आपके पास वक्त और हमारे पास सासों कि कमी होगी
उनसे दूर जाने का इरादा ना था
सदा साथ रहने का वादा भी ना था
वो याद नहीं करेंगे जानते थे हम
पर इतनी जल्दी भुल जाऐंगे अंदाज़ा ना था
बनाने वाले ने दिल काँच का बनाया होता तोड़ने वाले के हाथ मे जखम तो आया होता
जब बी देखता वो अपने हाथों को उसे हमारा ख़याल तो आया होता
रात होगी तो चाँद दुहाई देगा;
ख्वाबों में आपको वह चेहरा दिखाई देगा;
ये मोहब्बत है, ज़रा सोचकर करना;
एक आंसू भी गिरा तो सुनाई देगा!
जिंदगी भर दर्द से जीते रहे
दरिया पास था आंसुओं को पीते रहे
कई बार सोंचा कह दू हाल-ए-दिल उससे
पर न जाने क्यूँ हम होंठो को सीते रहे