जिंदगी भर दर्द से जीते रहे
दरिया पास था आंसुओं को पीते रहे
कई बार सोंचा कह दू हाल-ए-दिल उससे
पर न जाने क्यूँ हम होंठो को सीते रहे
जिंदगी भर दर्द से जीते रहे
दरिया पास था आंसुओं को पीते रहे
कई बार सोंचा कह दू हाल-ए-दिल उससे
पर न जाने क्यूँ हम होंठो को सीते रहे
इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है खामोशियो की आदत हो गयी है
न सीकवा रहा न शिकायत किसी से अगर है तो एक मोहब्बत जो इन तन्हाइयों से हो गई है
पत्थर से प्यार किया नादान थे हम
गलती हुई क्यों की इंसान थे हम
आज जिन्हे नज़रे मिलाने में तकलीफ होती है.
कभी उसी शख्स की जान थे हम.
प्यार को कहते हैं रब की इबादत है क्युँ भला इज़हार से डरते हैं लोग
हालात को काबू करने को कहते हैं जब की किसी का नहीं है इस दिल पे ज़ोर
तनहाई में फरियाद तो कर सकता हूँ
वीराने को आबाद कर सकता हूँ
जब चाहूँ तुम्हे मिल नहीं सकता
लेकिन जब चाहूँ तुम्हे याद कर सकता हूँ
तनहाई में फरियाद तो कर सकता हूँ
वीराने को आबाद कर सकता हूँ
जब चाहूँ तुम्हे मिल नहीं सकता
लेकिन जब चाहूँ तुम्हे याद कर सकता हूँ
एक दिन हम भी कफ़न ओढ़ जाएँगे
हर एक रिश्ता इस ज़मीन से तोड़े जाएँगे
जितना जी चाहे सतालो यारो
एक दिन रुलाते हुए सबको छोड़ जाएँगे
रिश्ते काँच की तरह होते है टूटे जाए तो चुभते है
इन्हे संभालकर हथेली पर सजना क्योकि इन्हे टूटने मे एक पल और बनाने मे बरसो लग जाते है
बड़ी आसानी से दिल लगाये जाते हैं पर बड़ी मुश्किल से वादे निभाए जाते हैं
ले जाती है मोहब्बत उन राहो पर जहा दिए नही दिल जलाए जाते हैं
चाहने से कोई चीज़ अपनी नही होती हर मुस्कुराहट खुशी की नही होती
अरमान तो भूख होती है दिल मे मगर कभी वक़्त तो कभी किस्मत सही नही होती
कोई वादा ना कर कोई इरादा ना कर; ख्वाहिशों में खुद को आधा ना कर; ये देगी उतना ही जितना लिख दिया खुदा ने; इस तकदीर से उम्मीद ज़्यादा ना कर।
जिनकी याद में हम दीवाने हो गए
वो हम ही से बेगाने हो गए
शायद उन्हें तालाश है अब नये प्यार की
क्यूंकि उनकी नज़र में हम पुराने हो गए
किसी को इश्क़ की अच्छाई ने मार डाला
किसी को इश्क़ की गहराई ने मार डाला
करके इश्क़ कोई ना बच सका
जो बच गया उससे तन्हाई ने मार डाला
तुमने चाहा है मुझे ये करम क्या कम है; तुम प्यार करते हो मुझसे ये भरम क्या कम है; एक दिन ये भरम टूटेगा मेरा उफ़ किस्मत का ये सितम क्या कम है
दिल ही दिल में कुछ छुपाती है वो यादों में आ कर चैन चुराती है वो
ख्वाबों में एक ऐहसास जगा रखा है बन्द आँखों में अश्क बन के तडपाती है वो