कैसे करू खुद से जुदा तुझे
मेरे अंदर भी बेशुमार है तू
कैसे करू खुद से जुदा तुझे
मेरे अंदर भी बेशुमार है तू
आग लग जाये उन मजबूरियों को
जिनकी वजह से हम दूर हो गये
आजकल दिल कुछ ठीक सा नही रहता
पता नही हम बदल गए या तुम
er kasz
मुझे तो इन्साफ चाहिए बस
दिल मेरा हैं तो मालिक तुम केसे
कही और जेक यह इल्जाम लगाओ
प्यार करने चले है मुह धोकर आओ
ज़िन्दगी तो कब की खामोश हो गई है
दिल तो बस आदतां धड़कता है
जल गया सारा जमाना हम से
जब हमने हर दुऑ मै तेरा साथ मांगा
महोब्बत रहे या ना रहे
स्कुल की बेन्च पर तेरा नाम आज भी है
मुहब्बत के साए में आज़ाद रह कर
कोई हंस रहा है कोई रो रहा है
यु तो किसी चीज के मोहताज नही हम.
बस एक तेरी आदत सी हो गयी है.
रख लेता शहर को अपनी जेब में
अगर तेरी वफा बेवफा ना होती
er kasz
दोस्ती और दुश्मनी मजेदार हैं बस निभाने का दम होना चाहिए !! Er kasz
जी केसे भर जाए तुजसे दोस्त
तू मेरी कभी न मिटनेवाली भूख हे