रुक गयी आज ये कहकर, कलम मेरी,
एहसास कीमती हैं, ज़रा कम खर्च करो!!Er kasz

दरवाज़ों के शीशे न बदलवा
लोगों ने अभी हाथ से पत्थर नहीं फेंके

ख़ामोशी की बर्फ़ जमीं है होंठों पर
आएगा सैलाब अगर ये पिघली तो

निकाल दे दिल से ख्याल उसका
यादें किसी की तकदीर नहीं बदला करती |

कैसे करू भरोसा गैरो के प्यार पर,
अपने ही मजा लेते अपनो की हार पर.

ना पड़े किसी को आदत किसी की इतनी
की हर सांस भी आये उसकी याद के बाद

कितना मुश्किल है मनाना उस शख्स को
जो रूठा भी न हो और बात भी न करे

माना कि जीत की आदत है मग़र
रिश्तों में हार जाना बेहतर होता है
er kasz

शक़ करके बर्बाद होने से तो
भरोसा करके लुट जाना ज्यादा बेहतर है

वक़्त की रफ़्तार कभी बदलती नहीं
बस ज़िन्दगी की रफ़्तार बदल जाती है

इश्क़ वो खेल नही जिसे बच्चे खेले
जान निकल जाती है सदमे सहते सहते

कही आदत ना हो जाये जिंदगी की,
इसलिए! रोज़ रोज़ थोड़ा थोड़ा मरते है हम...!!

दिल का अपनी हद से बाहर हो जाना
शायद इसे ही बेहद मोहब्बत कहते हैं

देर ना करना हो सके तो वक्त पर लोट आना
वरना सांसकी जगह राख मिलेगी

दिल तो दोनों का टूटा हैं
वरना चाँद में दाग और सूरज में आग ना होती