गर लाख सितम ढाये जमाना
पर मैं तो करता रहूंगा प्यार करके दीवाना
गर लाख सितम ढाये जमाना
पर मैं तो करता रहूंगा प्यार करके दीवाना
जरा सा भी नही पिघलता दिल तेरा
इतना क़ीमती पत्थर कहाँ से ख़रीदा
इश्क़ वो खेल नही जिसे बच्चे खेले
जान निकल जाती है सदमे सहते सहते
मैं भी कभी हँसता खेलता था
कल एक पुरानी तस्वीर में देखा था खुद को
कोई तो है मेरे अंदर मुझे संभाले हुए
बेकार सा रह कर भी बरक़रार हूँ
बदला जो रंग आपने हैरत हुई मुझे
गिरगट को मात दे गयी फितरत जनाब की
सो गईँ शहर की सारी गालियाँ
अब तेरी याद में मेरे जागने की बारी है
रोशनी में कमी आ जाए तोह बता देना
दिल आज भी हाज़िर हैं जलने के लिये
कौन कहता है तुझे कि जुदाई होगी
किसी गैर ने ही ये खबर फैलायी होगी
वाकिफ़ है वो मेरी कमज़ोरी से
वो रो देती है और मैं हार जाता हूँ
er kasz
तुम्हे तकलीफ न हो जरा भी चलने में
लो यह दिल चप्पल की जगह पहन लो
er kasz
एक आंसूं कह गया सब हाल दिल का
मैं समजा था ये ज़ालिम बे ज़बान है
er kasz
हर साल मिलेंगे इस प्यार में हम तुम
हर बार मिलेंगे सनम इस बहार में
आखो से आखे मिलती है दो रो चार बनकर
हम आपसे मिलेंगे गले का हार बनकर
ढल चुकी रात अब तो उठ गई महफिल
मैं कहाँ जाउं बता मेरी मंजिल है कहाँ