चुइंगम की तरह चबाया करूं नाम तेरा
न हलक से उतरे न फेंकने का मन होय
चुइंगम की तरह चबाया करूं नाम तेरा
न हलक से उतरे न फेंकने का मन होय
काश मेरा घर तेरे घर के करीब होता
बात करना न सही देखना तो नसीब होता
कभी उदास बेठे हो तो बताना पागल
हम फिर से दिल दे देंगे खेलने के लिए
ऐ दिल सोजा अब तेरी शायरी पढ़ने
वाली अब किसी और शायर की गजल बन गयी है
मेरी हर बात को उल्टा समझ लेते है वो
अब के पूछे तो कहना हाल बेहतर है
जल गया अपना नशेमन तो कोई बात नहीं
देखना ये है कि अब आग किधर लगती है
तुम ने देखी नही फुलो की वफा
वो जीस पर खीलते हे उसी पे मुरजा जाते हे
99% यकिन था कि तू मेरा नही होगा पर
उस 1% ने मुझे किसी का होने भी नही दिया
सुलूक-ए-बेवफाई तो हम भी कर सकते हे जान
पर तू रोये ये हमे गवारा नही ।
जब भी मौका मिलेगा ना, तो ,, जिस्म पे नही सीधे घाव पर वार करुंगा..... ((मा कसम))
नमक की तरह हो गयी है जिंदगी
लोग स्वादानुसार इस्तेमाल कर लेते हैं
बता दो हमे भी ऐ दोस्त
जाग रहे हो किसी की याद मे या फिर अभी तक सोए नही
सारे ताबीज गले में पहन कर देख लिए
आराम तो बस तेरे दीदार से ही मिला !!!
जब मोहब्बत हो ना किसी को तो याद रखना
शुरुवात झूठे वादों से होती है
प्रेम तब तक सिर्फ एक शब्द भर है
जब तक आप इसका
अहसास नहीं कर लेते।