ख्वाइशों से भरा पड़ा है घर इस कदर
रिश्ते ज़रा सी जगह को तरसतें हैं
ख्वाइशों से भरा पड़ा है घर इस कदर
रिश्ते ज़रा सी जगह को तरसतें हैं
मांग लूँ यह मन्नत की फिर वही जहाँ मिले, फिर वही गोद, फिर वही माँ मिले...
तमाम लोग मेरे साथ थे मगर मैं तो....
तमाम उम्र तुम्हारी कमी के साथ रहा....
तोड़ कर देख लिया आईना-ए-दिल तूने
तेरी सूरत के सिवा और बता क्या निकला
वो बोलते है झूठ इतने प्यार से
मन करता है यकीं कर जाऊं उनकी हर बात पर
क़ाश कोई ऐसा हो जो गले लगा कर कहे
तेरे दर्द से मुझे भी तकलीफ होती है
कहने को तो वो सबको मिला देता है
इस बार खुदा को भी ना हमें मिलाना आया
हो सके तो अब के कोई सौदा न करना;
मैं पिछली मोहब्बत में सब हार आया हूँ
अपना इनाम लेकर ही मानेगा
ये इश्क है जान लेकर ही मानेगा
राधे राधे
आइना है ये जिंदगी मेरे दोस्त
तू मुस्कुरा जिंदगी भी मुस्कुरा देगी
दिल की उम्मीदों का हौंसला तो देखो
इंतजार उसका जिसको अहसास तक नहीं
दिल की उम्मीदों का हौंसला तो देखो
इंतजार उसका जिसको अहसास तक नहीं
कुछ अलग सा है हमारी मोहब्बत का हाल,
तेरी चुप्पी और मेरे ख़ामोश सवाल...!!
हजार गम मेरी फितरत नही बदल सकते
क्या करू मुझे आदत हे मुस्कुराने की
अगर हम सुधर गये तो उनका क्या होगा
जिन्हें हमारे पागलपन से प्यार हे