रातें गुमनाम होती है दिन किसि के नाम होता है
हम ज़िंदगी कुछ इस तरह जीते है की हर लम्हा सिर्फ़ दोस्तों के ही नाम होता है

एक अजीब सा मंजर नज़र आता है; हर एक आँसूं समंदर नज़र आता है; कहाँ रखूं मैं शीशे सा दिल अपना; हर किसी के हाथ मैं पत्थर नज़र आता है।

जब रूह किसी बोझ से थक जाती है; एहसास की लौ और भी बढ़ जाती है; मैं बढ़ता हूँ ज़िन्दगी की तरफ लेकिन; ज़ंजीर सी पाँव में छनक जाती है।

दर्द कितना है बता नहीं सकते; ज़ख़्म कितने हैं दिखा नहीं सकते; आँखों से समझ सको तो समझ लो; आँसू गिरे हैं कितने गिना नहीं सकते।

अगर हंसने मुस्कुराने के लिये आप ईश्वर का शुक्र नहीं करते
तो आँखों मे आये आँसुओं के लिये उससे शिकायत का कोई हक़ नहीं है

,,, हमारे बिगड़ने का आलम क्या बताये ग़ालिब
पहले घर जाते वक़्त "PARLE G" खाते हुए जाते थे, और अब "बाबा इलाइची" खा के जाना पड़ता है😎😎😎

जो दिल का दर्द भुलाने के लिए शराब पीते है वो कभी साथ में नमकीन नही खाते
क्योंकि नमकीन तो दिलासा देने वाले ही खा जाते हैं

बहता पानी ही पत्थरों पर निशान छोड़ता है
पर पत्थर पानी पर कोई निशान नहीं छोड़ता है
इसलिए कहते हैं चलने का नाम ज़िन्दगी है

रातें गुमनाम होती है दिन किसिके नाम होता है
हम ज़िंदगी कुछ इस तरह जीते है
की हर लम्हा सिर्फ़ दोस्तों के ही नाम होता है

ना कर यु दीवानगी ऐ दीवाने आशीक इश्क ने बहुतो का दील तोडा है
मत भुल वो घडी तेरे दर्द की इस इश्क ने पेहले भी तेरा साथ छोडा है

ज़ख्म जब मेरे सीने के भर जाएंगे; आंसू भी मोती बन के बिखर जाएंगे; ये मत पूछना किसने दर्द दिया; वरना कुछ अपनों के सर झुक जाएंगे।

तेरे इश्क़ में सब कुछ लुटा बैठा; मैं तो ज़िंदगी भी अपनी गँवा बैठा; अब जीने की तमन्ना न रही बाकी; सारे अरमान मैं अपने दफना बैठा।

कांटो सी चुभती है तन्हाई! अंगारों सी सुलगती है तन्हाई! कोई आ कर हम दोनों को ज़रा हँसा दे! मैं रोता हूँ तो रोने लगती है तन्हाई!

ज़िन्दगी में जब आये खुशियाँ तो उसे चखना तुम मिठाई की तरह
मुमकिन है गम भी आयेंगे यहाँ तो उसे भी कुबूल करना तुम दवाई की तरह

वफा के नाम से घबराते हैं
जिधर देखो गम ही गम नजर आते हैं
दिल का दर्द आंसू बनकर ना निकले
इसलिए हम हर वक्त मुस्कुराते हैं