दोस्तों कमाई छोटी या बड़ी हो सकती है
पर रोटी की साईज लगभग सब घर मे एक जैसी ही होती है

मज़हब दौलत ज़ात घराना सरहद ग़ैरत खुद्दारी
एक मुहब्बत की चादर को कितने चूहे कुतर गए

तुझसे मोहब्बत तेरी औकात से ज्यादा की मैंने
अब बात नफरत की है तो सोच तेरा क्या होगा

फ़कत जिन्दगी को दिये हैं कुछ लम्हे उधार खुश रहने के
वो भी बीत रहे हैं आंसू पी-पी कर....!!

जितना Attitude तुम अपनी सारी जिंदगी में नही कमा पाओगे
उतना तो हम apne पैग में घोल कर पी जाते है

अगर तेरी नजरें कतल करने में माहिर है तो सुन
हम भी मर-मर कर जीने में उस्ताद हो गये हैं

गुजर जाएगा ये दौर भी ज़रा इत्मीनान तो रख
जब ख़ुशी ही ना ठहरी तो ग़म की क्या औकात है।

उसने हर नशा सामने लाकर रख दिया और कहा
सबसे बुरी लत कौनसी है मैंने कहा तेरे प्यार की..

इतिहास में जाके सुन लेना हमारी कहानी,
खून बहाया इतना नही था जितना नदियों में पानी..!!

वो अपने फायदे की खातिर फिर आ मिले थे हमसे; हम नादाँ समझे कि हमारी दुआओं में असर बहुत है!

पटाने को हम भी पटा लें मुहल्ले क़ी सारी लडकियाँ
पर हमें इश्क का शौक है आवारगी का नही

रहने दे गुंजाइशें जरा अपनी बेरुखी में
इतना ना तोड़ मुझे कि मैं किसी और से जुड़ जाऊँ

शायरी से ज्यादा प्यार मुझे कहीं नही मिला..
ये सिर्फ वही बोलती है, जो मेरा दिल कहता है…

हम तो सोचते थे कि लफ्ज़ ही चोट करते हैं; मगर कुछ खामोशियों के ज़ख्म तो और भी गहरे निकले।

उसके नर्म हाथों से फिसल जाती है चीज़ें अक्सर
मेरा दिल भी लगा है उनके हाथो खुदा खैर करे