तरस गए आपके दिदार को फिर भी दिल आप ही को याद करता है
हमसे खुश नसिब तो आपके घर का आईना है
जो हर रोज आपके हुस्न का दिदार करता है

हमने भी किसी से प्यार किया था; कम नहीं बेशुमार किया था; ज़िंदगी बदल गई थी तब उसने कहा कि; पागल तू सच समझ बैठा मैने तो मज़ाक किया था।

पास आकर सभी दूर चले जाते हैं
हम अकेले थे अकेले ही रह जाते हैं
दिल का दर्द किसे दिखाएं
मरहम लगाने वाले ही जख्म दे जाते हैं

सबने कहा इश्क़ दर्द है; हमने कहा यह दर्द भी क़बूल है; सबने कहा इस दर्द के साथ जी नहीं पाओगे; हमने कहा इस दर्द के साथ मरना भी क़बूल है।

इक़रार कर गया कभी इंकार कर गया; हर बात एक अज़ब से दो-चार कर गया; रास्ता बदल के भी देखा मगर वो शख्स; दिल में उतर कर सारी हदें पार कर गया।

ये तो जिन्दगी की कशमकस में थोड़ा उलझ गए हैं दोस्तो,
वर्ना…
हम तो उनमें से है,
जो दुश्मनों को भी अकेला महसूस नहीं होने देते…!

किसीने मुझसे पुछा तुम गाॅगल पहनके क्यों फोटो खिंचवाते हो
मैने कहा इसलिए कि हमारी आंखो मे देखकर किसी को हम से प्यार ना हो जाए

ना हम रहे दिल लगाने के काबिल; ना दिल रहा ग़म उठाने के काबिल; लगे उसकी यादों के जो ज़ख़्म दिल पर; ना छोड़ा उसने फिर मुस्कुराने के काबिल।

जमीन छुपाने के लिए गगन होता है; दिल छुपाने के लिए बदन होता है; शायद मरने के बाद भी छुपाये जाते हैं गम; इसीलिए हर लाश पे कफ़न होता है।

कोई मिला हमे चाँद की चाँदनी बन कर
कोई मिला परियो की कहानी बन कर
पर जिस किसी को पलको मे बसाया हमने
वो निकल गया आख से पानी बन कर

वो हमको पत्थर और खुद को फूल कह कर मुस्कुराया करते हैं
उन्हें क्या पता कि पत्थर तो पत्थर ही रहते हैं
फूल ही मुरझा जाया करते हैं

रात को रात का तोफा नहीं देते
दिल को जजबात का तोफा नहीं देते
देने को तो हम आप को चाँद भी दे दे
मगर चाँद को चाँद का तोफा नहीं देते

एक वफ़ा को पाने की कोशिश में; ज़ख़्मी होती हैं वफ़ाएं कितनी; कितना मासूम सा लगता है लफ्ज़ मोहब्बत का; और इस लफ्ज़ से मिलती हैं सजाएं कितनी।

हर ख़ुशी के पहलू हाथों से छूट गए; अब तो खुद के साये भी हमसे रूठ गए; हालात हैं अब ऐसे ज़िंदगी में हमारी; प्यार की राहों में हम खुद ही टूट गए।

रात होगी तो चाँद दुहाई देगा;
ख्वाबों में आपको वह चेहरा दिखाई देगा;
ये मोहब्बत है, ज़रा सोचकर करना;
एक आंसू भी गिरा तो सुनाई देगा!