ख़ता ये नहीं कि उसने भूला क्यों दिया
सवाल ये है कि वो मुझे अब याद क्यों है

वो हमे नही चाहते तो क्या हुआ
क्या इतनी सी बात पर मैं उसे चाहना ही छोड़ दूँ

ना मेरा प्यार कम हूवा ना उस की नफ़रत,
अपना अपना फ़र्ज़ था दोनो अदा कर गये.

अपनी कहे अपनी सुने अपने लिए जिए मरे ,
.
ऐसे सनम से दिल लगाना छोड़ दिया है !

उसने जब से कहा है उस दिन दूर चली जाउंगी
ऐसा लगता है मौत का दिन तय हो गया हो

मुझसे खुशनसीब हैं मेरे लिखे ये लफ्ज
जिनको कुछ देर तक पढ़ेगी निगाहे तेरी

मुझसे खुशनसीब हैं मेरे लिखे ये लफ्ज
जिनको कुछ देर तक पढ़ेगी निगाहे तेरी

तेरे बाद किसी को प्यार से ना देखा हमने,
हमें इश्क का शौक है, आवारगी का नही..

ख़ंजर चले किसी पे तड़पते हैं हम अमीर ; सारे जहाँ का दर्द हमारे जिगर में है।

इतना मगरूर मत बन मुझे वक्त कहते हैं
मैंने कई बादशाहो को दरबान बनाया हैं

याद उसकी जो आती है तो बरसते हैं आंसू
बेवफाई और मुहब्बत कौन समझाए इन्हें

कांच के दिल थे जिनके उनके दिल टूट गए; हमारा दिल था मोम का पिघलता ही चला गया।

दिए हैं ज़ख़्म तो मरहम का तकल्लुफ न करो; कुछ तो रहने दो मेरी ज़ात पे एहसान अपना!

ए मौत जितनी ताकत है उतनी लगाले
मुझे पाने के लिए तुजे भी दुआ माँगनी पड़ेगी

ठान लिया था कि अब और नहीं लिखेंगे
पर उन्हें देखा और अल्फ़ाज़ बग़ावत कर बैठे