दुशमन सामने आने से भी डरते थे . . .
और वो पगली दिल से खेल के चली गई....।
दुशमन सामने आने से भी डरते थे . . .
और वो पगली दिल से खेल के चली गई....।
इस तन्हा रात में अजीब सी बात है, लाख
ना चाहने पर भी याद तू आती है !!
ऐ राम तेरे युग का रावण ही अच्छा था
दस चेहरे थे पर सब सामने तो थे..!!
जहासे तेरी बादशाही खत्म होती है वहासे मेरी नवाबी सुरु होती हे ।
नहीं मिला कोई तुम जैसा आज तक
पर ये सितम अलग है की मिले तुम भी नही
इजाजत हो तो तेरे पास आ जाऊं मै...चाँद के पास भी तो एक सितारा रहता है !
छोकरी:प्रेम करवो होय तो 36 नी छाती जोय
छोकरो: कोनी मारी के तारी
खुद ही मुस्कुरा रहे हो साहिब
पागल हो या मोहब्बत की शुरूआत हुई है
जब भी मौका मिलेगा ना, तो ,, जिस्म पे नही सीधे घाव पर वार करुंगा..... ((मा कसम))
तमाम लोग मेरे साथ थे मगर मैं तो....
तमाम उम्र तुम्हारी कमी के साथ रहा....
बड़ा अजीब होता है मोहब्बत का खेल
एक थक जाये तो दोनों हार जाते हैं ।।
मैं जब भी टूटता हूँ, तुझे ढूंढता हूँ
तू हमेशा कहती थी ना, कि हम एक हैं
सिकंदर तो हम अपनी मर्जी से हें,
पर हम दुनिया नहीं दिल जीतने आये हें..
आखें मत फाड पगले Dil को आराम दे
मेरे फोटो को इतना मत देख Apni wali पे
घ्यान दे..
अंजान तुम बने रहे ये और बात है
ऐसा तो क्या है कि तुमको हमारी खबर नहीं