हिलते लबो को तो दुनिया जान लेती हैं..
मुझे उसकी तलाश है जो ख़ामोशी पढ़ ले..!

आज मुस्कुराने की हिम्मत नहीं मुझ में..
आज टूट कर मुझे तेरी याद आ रही है..!!

कल तुझसे बिछड़नेका फैसला कर लिया था
आज अपने ही दिल को रिश्वत दे रहा हूँ

हम तो अब भी खडे है तेरे इनतजार मे
उसी राह मे बेसबब बेइनतहा मोहब्बत लिए

पहचान कफ़न से नहीं होती है
लाश के पीछे काफिला बयाँ कर देता है हस्ती को

तुम सो जाओ अपनी दुनिया में आराम से
मेरा अभी इस रात से कुछ हिसाब बाकी है

आज भी लोग ये सवाल पूछते हैं
क्यों कर ली तुमने मोहब्बत तुम तो समझदार थे.

तुम्हे कया पता किस दर्द में हुँ में
जो कभी लिया नही उस कर्ज में हुँ में

लोग तो लिखते रहे मेरी पर ग़ज़ल
तुमने इतना भी ना पूछा, तुम उदास क्यों हो

जिन लम्हो का जिक्र आज तू हर एक से करती है
उनसे रुबरु तो हमने कराया था ना

अभी शीशा हूँ सबकी आँखों में चुभता हूं
जब आईना बनूँगा सारा जहाँ देखेगा

ख़ता ये नहीं कि उसने भूला क्यों दिया
सवाल ये है कि वो मुझे अब याद क्यों है

ना मेरा प्यार कम हूवा ना उस की नफ़रत,
अपना अपना फ़र्ज़ था दोनो अदा कर गये.

मुझसे खुशनसीब हैं मेरे लिखे ये लफ्ज
जिनको कुछ देर तक पढ़ेगी निगाहे तेरी

तेरे बाद किसी को प्यार से ना देखा हमने,
हमें इश्क का शौक है, आवारगी का नही..