जाओ जाकर ढून्ढो हम से ज्यादा चाहने वाला
मिल जाये तो खुश रहना न मिले तो फिर भी तेरे हैं हम

सिखा न सकी जो उम्र भर तमाम किताबें मुझे
करीब से एक चेहरा पढ़ा और न जाने कितने सबक सीख लिए

खुशी में मदहोश और गम में मायूस मत होना
ये वक्त बड़ा खिलाड़ी है हर रोज़ अपनी चाल बदलेगा …

हमें पता था तेरी फितरत में है दगावाजी
हमने तो दोस्ती ईसलिए कि थी शायद तेरी सोच बदल जाये..

मैंने गले में सारे ताबीज डाल के देखे हैं पर
जो तेरी यादों को रोक सके वो धागा मिला ही नहीं

रुखसत हो गए तुम बिना किसी लिहाज़ के​;​​महफ़िल जवाँ थी पर अफ़सोस कमबख्त हो तुम मिजाज़ के।

​हज़ारों ऐब ढूँढ़ते है हम दूसरों में इस तरह​;​ अपने किरदारों में हम लोग फरिश्तें हो जैसे​।

हमारी सोच और लोगो कि सोच मे बस ईतना हि फर्क हे के
वो सरकारी आदमी बनना चाहते हे और हम सरकार

पगली कहती थी कि वो मेरी रग-रग से वाकिफ है
फिर भी मेरे दिल से निकलने का रास्ता नहीं ढुढ़ पाए

दिल के छालों को कोई शायरी कहे तो दर्द नहीं होता
तक़लीफ़ तो तब होती है जब लोग वाह-वाह करते है

नाज है मुझे मेरे प्यार पर ना मैँ बेबफा
ना बो बेबफा बस माँ बाप के फर्ज ने हमेँ जुदा कर दिया

सुकून ऐ दिल के लिए कभी हाल तो पूँछ ही लिया करो
मालूम तो हमें भी है कि हम आपके कुछ नहीं लगते

हमारा अंदाज ही कुछ ऐसा है कि हम बोलते है
तो बरस जाते है और खामोश रहते है तो लोग तरस जाते है

यह भी एक ज़माना देख लिया है हम ने;​​ दर्द जो सुनाया अपना तो महफ़िल में तालियां गूंजी​। ​ ​​​​

तुम पत्थर भी मारोगे तो भर लेंगे झोली अपनी
क्योंकि हम यारों के तोहफ़े ठुकराया नहीं करते