लोग बेवजह ढूँढते हैँ खुदखुशी के तरीके हजार;
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इश्क करके क्यों नहीँ देख लेते वो एक बार।
लोग बेवजह ढूँढते हैँ खुदखुशी के तरीके हजार;
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इश्क करके क्यों नहीँ देख लेते वो एक बार।
नाम और बदनाम में क्या फर्क है
नाम खुद कमाना पड़ता है और
बदनामी लोग आपको कमा के देते हैं
मैं थोड़ी देर तक बैठा रहा उसकी आँखों के मैखाने में;
दुनिया मुझे आज तक नशे का आदि समझती है...
उसकी दर्द भरी आँखों ने जिस जगह कहा था अलविदा
आज भी वही खड़ा है दिल उसके आने के इंतज़ार में..!!
कुछ इस तरहा से सौदा कीया मुझसे मेरे वक़्त ने
तजुर्बे देकर वो मुझसे मेरी नादानीया ले गया
जली रोटियों पर बहुत शौर मचाया तुमने; माँ की जली उँगलियों को देख लेते तो; भूख ही उड़ गई होती।
शिकायत तुम्हें वक्त से नहीं खुद से होगी
कि मोहब्बत सामने थी और तुम दुनिया में उलझी रही
तेरी दुआओ का दस्तुर भी अजब है मेरे मौला
मुहबबत उन्ही को मिलती है जिन्हे निभानी नही आती
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई; मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई।
मुझसे भुलाया नही जाता उस एक शक्स का प्यार !!
लोग जिगर वाले है जो रोज नया महबूब बना लेते है !!
यहाँ हजारों शायर है जो तख़्त बदलने निकले है
कुछ मेरे जैसे पागल है जो वक़्त बदलने निकले है
तेरी आँखों के जादू से तू ख़ुद नहीं है वाकिफ़; ये उसे भी जीना सीखा देती है जिसे मरने का शौक़ हो।
हमें अपने घर से चले हुए सरे राह उमर गुजर गई; कोई जुस्तजू का सिला मिला न सफर का हक ही अदा हुआ।
किस्मत की किताब तो खूब लिखी थी मेरी रब ने
बस वही पन्ना गुम था जिसमे महोब्बत का ज़िक्र था
वक्त ही नहीं मिलता मुझे दुखी होने का,
क्योंकि..
उम्मीद ही नहीं करता मैं ज्यादा खुशी की..!