इतने बुरे ना थे जो ठुकरा दिया तुमने हमेँ
तेरे अपने फैसले पर एक दिन तुझे भी अफसोस होगा
इतने बुरे ना थे जो ठुकरा दिया तुमने हमेँ
तेरे अपने फैसले पर एक दिन तुझे भी अफसोस होगा
मौत को तो लोग यूहीं बदनाम करते है ।
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तकलीफ तो सुबह सुबह ठंडा पानी देता है ।
गुलाम हूँ अपने घर के संस्कारो का वरना
लोगो को उनकी औकात दिखाने का हुनर आज भी रखता हूँ
आसान नही है हमसे यूँ शायिरयों में जीत पाना
हम हर एक शब्द मोहब्बत में हार कर लिखते हैं
उम्र और ज़िन्दगी में फर्क बस इतना
जो तेरे बिन बीति वो उम्र जो तेरे साथ बीति वो ज़िन्दगी
इतना हक ना दे मुझे, हम मौका परस्त है,
जुल्फों को सुलझाते सुलझाते,लबों को चूम लिया करते
" जो तेरी चाह में गुज़री, वही ज़िन्दगी थी,
उस के बाद तो बस, ज़िन्दगी ने गुज़ारा है मुझे"
तुम मुझमे पहले भी थे तुम मुझमे अब भी हो
पहले मेरे लफ्ज़ो में थे अब मेरी खामोशियो में हो
आज जिस्म मे जान है तो देखते नही हैं लोग
जब रूह निकल जाएगी तो कफन हटा हटा कर देखेंगे लोग
जम्हूरियत वो तर्ज़-ए-हुकूमत है कि जिसमें; बंदों को सिर्फ़ गिना जाता है तोला नहीं जाता।
हमे तो अपनो ने लूटा,
गैरो मे कहा दम था,
मेरे बाफले वही जले,
जहा राखोडा कम था..,😝😝😝😜✋😃
मेरे मुकद्दर में तुम्हारी याद है लेकिन
तुम जिसके मुकद्दर में हो उसे ज़िन्दगी मुबारक
जिन्दगी भर कोई साथ नही देता ये जान लिया है हमने
लोग तो तब याद करते है जब वो खुद अकेले हो
अजब पहेलियाँ हैं मेरे हाथों की इन लकीरों में; सफर तो लिखा है मगर मंज़िलों का निशान नहीं।
आसरा इक उम्मीद का देके मुझ से मेरे अश्क न छीन
बस यही एक ले दे के बचा है मुझ में मेरा अपना